Mikky श्रीवास्तव 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 83069 0 Hindi :: हिंदी
जीवन का एक बड़ा सा सपना पचास गज की ज़मीन पर ही सही हो छोटा सा एक घर अपना। होंगी दीवारे आठ इंच की, या बढ़िया रहेगा दस इंच दस बाय बारह के होंगे कमरे रसोईघर का रिख किधर बने। पूजा घर होगा किस ओर मेरे कमरे का भी रखना ध्यान सीढ़ियां न लेना इस ओर। जद्दोजहद में लगा सारा परिवार बनते ही घर आधा,खत्म हुए संजोये पैसे, पूरा होगा यह घर कैसे। सबकी बढ़ी परेशानी लोन लिए समाधान मिला चमकी आखो में घर की सुंदर छवि मुरझाया चेहरा फिर खिला। धन्यवाद मकान मालिकों का अब तक जिन्होंने स्थान दिया सिर पर आया अब छत अपना पूरा हुआ वो बड़ा सा सपना आखिरकर बन गया घर अपना। मिक्की श्रीवास्तव