संदीप कुमार सिंह 26 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6447 0 Hindi :: हिंदी
कलियुग के इंसान को,साधन सुविधा खास। इतरा रहे विकास में,खुशियाँ सबके पास।। कलियुग के इंसान में,समझ बूझ है खूब। जीवन स्तर शुभ हुआ,दिखते सब महबूब।। कलियुग के इंसान में,होते सभ्य विचार। मिला हाथ को हाथ से,व्यक्त करे आभार।। कलियुग के इंसान में,भरा हुआ प्रतिकार। दुष्टों को ये खत्म कर,रखे मधुर व्यवहार।। कलियुग के इंसान में,मची भयंकर होड़। भागम भाग विशेष है,दिखते हैं बेजोड़।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....