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अब वे याद आते है

RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक अब वे याद आते है yaad 20616 0 Hindi :: हिंदी

कच्ची सड़क ,हरे-भरे खेत,अगल बगल हरे-भरे घास... 
खुला आसमां ,जोर जोर से बहती पुरवैया...
शोर शरावा तो बिलकुल भी नहीं... 
वे गाँव कहलाते थे... 
अब वे याद आते है... 
अब वो एक स्वप्न सा लगता है... 
एक ऐसा स्वप्न जो शायद अब अभी पुरे हो... 
अब वो एक बीती हुई कहानी हो गयी... 
अब वे गाँव नहीं रह गए ,अब वे शहर कहलाते है... 
अब वे याद आते है... 
मनुष्य ने विकाश के नाम पर उसका अस्तित्व ही बदल डाला... 
अब वे याद आते है...

BY- RANJIT MAHATO 





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