Kanhaiyalal 20 May 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत https://instagram.com/kanhaiya_lal_7?igshid=OTk0YzhjMDVlZA== 7110 0 Hindi :: हिंदी
यह वीरान सी जगह, जैसे थार मरुस्थल।यह बिखरी ठंडी रात, जैसे थार मरुस्थल की रात ।। यह दक्षिण सड़क पर पहुंचकर रुक सा गया ।यह सड़क को देखा तो दिल में एक रोशनी सी टकरा गई।। आवाज लगी , जैसे साथी की किसी की आ गई ।उसे लगा यह आवाज सुनी सुनी सी अचानक आ गई।। यह अनिच्छा से चलने लगा, जैसे सड़क उसे ले जा रही। यह हवा का पेड़ों से टकराना, सुनते सुनते आवाज चलते रहना।। जैसे आसमां से तारा टूटता है, वैसे बेसहारा धरा पर गिर गया।। बस धरा की मिट्टी ने उसे चारों तरफ से जकड़ लिया। इसे इस क्षण लगा, जैसे धरा हिल गई।। बस यह अंधेरी रात रास्ता यह सांप बिच्छू-सा, मैं अनाड़ी दिल रहा कांप-सा।। मिट्टी से घिरा लड़खड़ाने,डगमगाने लग गया। यह दोबारा अंधेरी रात की तरह सुन-सा हो गया।। महसूस होता जैसे वक्त थम सा गया। यह जानी पहचानी पुरानी गलियों में पहुंच गया।उसे लगा,जैसे आवाज पंखों की किसी के घर से आ गई ।। यह अब अचानक उबासी,अंगड़ाइयां लेता चलता रहा। यह वीरान सी जगह जैसे थार मरुस्थल।। अब इसे न कोई बिच्छू,न कोई सांप, न कोई आवाज, न गिरने लड़खड़ाने का भय। निरंतर निरथक चलता रहा।। उस वीरान,जंगल,सेहमी धरा की और। ✍️ kanhaiyalal https://instagram.com/kanhaiya_lal_7?igshid=OTk0YzhjMDVlZA==
Kanhaiyalal jalandhra was born10 oct 2004 at harkhewala. It was intimate contect with nature and lo...