संदीप कुमार सिंह 01 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5710 0 Hindi :: हिंदी
कुंडलिया छंद करता अथक प्रयास मैं,पाया सही मुकाम। इच्छाओं के दास हूं,करूं नहीं आराम।। करूं नहीं आराम,सृजन उत्तम मैं करता। देता हूं उपहार,दिव्य ऊर्जा मैं भरता।। कहते कवि संदीप,सत्य कभी न है डरता। खुद पर कर विश्वास,सफल ऐसे जन करता।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....