Sudha Chaudhary 28 Jun 2023 कविताएँ अन्य 7560 1 5 Hindi :: हिंदी
बस बातों की बातें हैं बातों की पीड़ा जाने कौन! चाहे जितना मरहम लगा लो चाहे जितना साक्ष्य जुटा लो बातों की पीड़ा जाने कौन! अपनी यादों की खिड़की से कितनी बार, किसे पूछा क्या क्या जतन जुटाए मेरे अतिरिक्त जाने कौन! मेरे और तुम्हारे सम्मुख नियत रही है भारी कितना भी पछताऊ साथ रहा है जारी जैसे तैसे जोड़ तोड़ के जारी है मंथन जाने कौन! बातों की पीड़ा जाने कौन! अलग अलग ही प्राण रहे अलग अलग ही सोच कभी एक होकर जो सोचे हो जाए मतभेद। इस वैचारिक पृष्ठभूमि का गहन रूप जाने कौन! बातों की पीड़ा जाने कौन! सुधा चौधरी बस्ती
10 months ago