संदीप कुमार सिंह 24 Apr 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6086 0 Hindi :: हिंदी
अच्छा है दिखता नहीं, आने वाला काल। गरमी से बदहाल है, सभी प्राणि की चाल।। अच्छा है दिखता नहीं,मौसम का अब रंग। दिखे असर प्रतिकूल है,बदल गया है ढंग।। अच्छा है दिखता नहीं,एक हुआ है रोग। करें दूर इस रोग को,जीवन तो है भोग।। अच्छ है दिखता नहीं,बदले बदले आज। मानव राही चल सदा,करिए अपना काज।। अच्छा है दिखता नहीं,राजनीति में लोग। भरे तिजोरी स्वयं का,और करे नित भोग।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....