Aarti Goswami 16 Jan 2024 कविताएँ अन्य मैं क्यूं हारु 7938 1 5 Hindi :: हिंदी
"मैं क्यूं हारु" पढ़ना हैं मेरा करम किताबे हैं मेरा चरम जीवन में हैं कुछ सपना जो किताबों से होगा अपना किताबों से लाना हैं सैलाब और ज्ञान से भरना हैं तालाब तो मैं क्यूं हारु आसान नहीं कुछ बनना जहां पढ़ने से होगा वो भी यहां किताबों से हैं मेरे ख़्वाब जो बनाएंगे मुझे कामयाब जब किताबें हैं हाथ में तब सब कुछ हैं साथ में तो मैं क्यूं हारु जब सब कुछ हैं मिला तब भी मन कहां हैं खिला कुछ बनने की आग जब लगी हो मन में तब चेन कहां जीवन में तो मैं क्यूं हारु ~'आरती गोस्वामी'✍️
3 months ago