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थाली - "(एकता का पात्र , जिम्मेदारियों का वाहक )"

डॉ शिवम पांडेय 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Google 96616 4 4.5 Hindi :: हिंदी

थाली - "(एकता का पात्र , जिम्मेदारियों का वाहक )"

कहते है कि  रोटी-कपड़ा-मकान मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है  परंतु  यह कदाचित नहीं झूठलाया जा सकता है कि इन सबको  एक बंधन में पिरो कर एकत्र करने का कार्य एक थाली(जिम्मेदार व्यक्ति) करती है । थाली से मेरा आशय यह कदापि नही है कि जो भोजन को संयो कर रखे जबकि थाली शब्द का अलौकिक अर्थ ही यह  है कि जो जीवन के निर्वाहन हेतु तौर-तरीकों को चरितार्थ करता है ।
थाली शब्द को विस्तृत रूप से समझने के लिए कुछ स्वरचित पंक्तियों का संयोजन प्रस्तुत है - 

हाँ ... मैं थाली हूँ  किन्तु स्वयं स्वार्थ भावों से खाली हूँ ,
मैं खुद में रखे व्यंजनों(परिवारिक सदस्यों) के लुफ्त का एक वाहक हूँ ,
परम्-आत्म आस्था के लिए मैं एक सजावट हूँ ,
अरे... तुम तो मुझको मुझ पर वार कर खुद को जयचंद कहलाते हो ,
और मैं पृथ्वी बन फिर से तुम्हें आत्म संतृप्ति की अनुभूति कराता हूँ ,
तुम मेरे लिए ही तो अपनी दिनचर्या निभाते हो ,
कभी डांटे जाते हो तो कभी सराहे जाते हो,
किंतु हाँ..शाम को जब तुम थक हार के आते हो तो सबसे पहले मुझे ही तो बुलाते हो ,
और मैं तुम्हारे आत्म संतृप्ति के लिए तुम्हारे पास वाहक बनकर फिर से निःस्वार्थ भाव से भर कर आ जाता हूँ , 
और पुनः मैं खाली होकर थाली बन जाता हूँ ,
गज़ब की बात है ...तुम मेरा मोल-भाव कर मेरी कीमत तौलते हो ,
जरा हमें भी बता दो हम कैसे तौले अपने निःस्वार्थ भाव की कीमत को,
चलो आजमा लो मेरे भावों को और कर दो साबित कि मैं स्वार्थी हूँ ,

हाँ .... तो  मैं मान लूंगा कि मैं थाली हूँ परंतु निःस्वार्थ भावों से खाली हूँ ,  निःस्वार्थ भाव से खाली हूँ ।


~शिवम पांडेय 
  ( सहा. प्रोफेसर)
   ( डी.एस.एस.ओ.पी फार्मेसी कॉलेज , सिद्धार्थनगर)

Comments & Reviews

ROHIT YADAV
ROHIT YADAV Best

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live

1 year ago

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Sahity Live
Sahity Live Nice

1 year ago

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Shveta kaithwas
Shveta kaithwas Behad khubsurat

1 year ago

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