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एक आश

Ekta Tiwari 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक हे ईश्वर मेरी एक पूरी आश कर दे तू। 82657 0 Hindi :: हिंदी

हे ईश्वर मेरी एक पूरी आश कर दे तू।
या तो सुधार दे दुनिया को या फिर सर्वनाश कर दे तू।
ये दुनिया आए दिन घनघोर अपराध करती है।
मुसीबत पड़ जाए तो फिर तुमको याद करती है।
यहां के लोगों में अहंकार होता है।
तेरी प्रत्येक रचना का यहां तिरष्कार होता है।
ये नादान दुनिया कुछ न अब समझती है।
कभी भी घोषणा विश्वयुद्ध की यह कर सकती है।
यहां लोगों में दया धर्म नहीं होता है।
यहां लोगो के लिए पैसा ही सब होता है।
मगर इक बात समझ ले तू ए दुनिया यहां हर किसी को किसी ना किसी दिन जाना है।
अन्तिम मंजिल तुम्हारी शमशान ही ठिकाना है।
आओ प्रकृति को सुरक्षित रखने का वादा कर ले हम।
बुराइयां छोड़कर अपना जीवन सीधा सादा कर ले हम।
एकता तिवारी

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