Sudha Chaudhary 08 May 2023 कविताएँ अन्य 5865 0 Hindi :: हिंदी
तुम्हें समेटे मन में अपने करते हर क्षण याद तुम्हें तुम वर्षा से, कभी धूप से छुपते हो इस नील गगन में। आओ जीवन में सुनहरी धूप से रुको हवा के ठंडे झोंकों से जैसे पंछी बोल रहे हो कोई मिश्री बोल रहे हो मन से मन का मान ही रखते पूर्ण स्नेह से तुम भी शुन्य हो जाते मेरे शुन्य हृदय में। सुधा चौधरी