Bholenath sharma 14 Apr 2024 कविताएँ समाजिक अब हुनर आ गया 1254 0 Hindi :: हिंदी
मांगते थे खुशी पर केवल मिलता रहा गम , होकर निडर चले पड़े गम से लड़ने के लिए हम । देर लगी इस लड़ाई में हमें मगर दुनिया दारी का हमको शऊर आ गया जिंदगी जाने का हमको अब हुनर आ गया