ADITYA SHANKHWAR 09 Jun 2023 कविताएँ दुःखद उड़ीसा की रेल दुर्घटना पर आधारित 10570 1 5 Hindi :: हिंदी
रेलयान गन्तव्य छोड़कर हुआ रवाना यमपुर को कैसे लिक्खूँ मुसाफिरों के मर्म भेदी क्रन्दित सुर को? क्या-क्या सपने लेकर जब बो चले हुए होंगे घर को नहीं पता था हुए रवाना बो अपने आखिरी सफर को कितनों को था इंतजार अपने आगामी परिजन का थे कितने बेसब्र मुसाफिर दर्शन को निज अभिजन का पर अभिजन तक पहुंच न पाऐ बीच राह में प्राण गवाये अब करते परिजन निज क्रन्दन हूक - हूककर हाय! हाय! बालासोर की दुर्घटना में किसने कैसे प्राण गवाये? पटरी से जब रेल उतर कर अकस्मात ही टकराई मृत्यु से बेखबर यात्रियों पर सहसा सामत आई आज लाश पर लाश उठाते बीन बीन कर लोग बहाँ कहीं रुण्ड तो कहीं मुण्ड मिल रहे पढ़े हैं जहाँ तहाँ रेलयान के डिब्बों के कचड़े के नीचे दबे हुए मिट्टी मालवा और खून के चिथड़ोंं में यूँ सने हुए उन्हीं शवों के बीच वहाँ एक वृद्ध पिता क्या ढूंढ रहा? बेटा-बेटा कहकर बो निज पुत्र के शव को ढूंढ रहा इसी तरह न जाने कितने सम्बन्धी सम्बन्ध को ढूंढें जिनको मुण्ड मिले बो उनके खोये हुए कबन्ध को ढूंढे हाय! इस दुर्घटना ने कितने मर्मान्तक दृश्य दिखाये बालासोर के रेल हादसे में कितनों ने प्राण गवाये?
11 months ago