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बाबा साहेब"अंबेडकर"

Alok Vaid 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #कविता #हिंदी_साहित्य #बाल_साहित्य #प्यार #मोहब्बत #अंबेडकर #दलित 13797 0 Hindi :: हिंदी

शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
दवे और कुचलो के लिए शायद वो अजन्मा था
उस युग में यूं इतना पढ़ना बस्की सबके बात नहीं
भारत छोड़ो विदेश में भी सूरज से कम नाम नहीं
अमेरिका के राष्ट्रपति ने सूरज इसका नाम दिया
शोषितों के साथ साथ महिलाओं का उद्धार किया
धर्म के ठेकेदारों ने पानी पर अधिकार जमाया
पानी पीने का अधिकार नायक ने हमे दिलाया
सोचा अजन्मा ईश्वर है लेकिन वो मनुष्य जन्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
पढ़ने की बातें छोड़ो पुस्तक छूने का अधिकार नहीं
गांव के मुखिया सरपंच सब ये पर अपनी सरकार नहीं
क्या लिखूं कितना लिखूं कलम मेरी अब रोती है
कहती नायक के त्याग की दास्तां अब तो ये धरती है
उसी हमारे नायक ने हमको तो इंसान बनाया
नहीं तो पशु से बत्तर जीवन अबतक हमने पाया
हर अधिकार के क्षेत्र में इनका अपना खंभा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
अधिकारों की बात हम करते पिटाई और फटकार लगाई
नायक ने हर अधिकार की पंक्ति संविधान में खुद रचाई
ढोल गवाँर शूद्र पसु नारी पीटने का था अधिकार
कोई इनकी ना सुनने वाला पशु से नीचा था आधार
उस नायक के त्याग के कारण विधान ऐसा तैयार किया
शोषण से बचाव के लिए एक्ट का प्रावधान किया
एक्ट खत्म करने के लिए हर वो वर्ग निकम्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी खत्म करन को एक्ट
मेरा नायक इतना महान आज समझा हूं परफेक्ट
शोषण हमारा आज भी करते आरक्षण के मुद्दे पर
हजारों साल से खाते आए बोले नहीं उस मुद्दे पर
आज हम ऊपर बढ़ते है आरक्षण इनको दिखता है
विधान बदलने की ये सोचें आंखों में इनके खटकता है
समता की जो बात ना करे हर वो वर्ग निकम्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
नायक नायक बोल चुका नाम उसका बाकी था
अंबेडकर था नाम उसका संघर्षी जन्म जाति था
कहै"आलोक" बाबा साहेब से विश्व में है नाम अमर
ऐसा त्यागी और न देखा विरोधियों से किया समर
अब तो मरते दम तक बाबा साहब का मैं आदि हूं
धर्म जाति न करू बखान मैं अंबेडकरवादी हूं
हर क्षेत्र में पकड़ थी उसकी इतना वो चौकन्ना था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
दवे और कुचलो के लिए शायद वो अजन्मा था

✍️....आलोक वैद "आजाद"
एम ० ए० (समाज शास्त्र)


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