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बस अपने इरादों को तूं देख

संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता प्रेरणा से भरपूर है, पाठक गण अवश्य ही लाभ उठावें। 46840 0 Hindi :: हिंदी

बस अपने इरादों को हम देखते हैं,
नहीं कोई मतलब जहां के सितम से।
तूं आगे बढ़ता जा_बढ़ता जा,
रुकावटें बहुत सारी है,
सरलता से कुचलता जा_कुचलता जा।
नम्बर वन बन_100%का चाहत रख,
आंखों में हसी खुवाबों का महल रख।
कदमों में गजब की चाल रख,
दिलों में कठोड़ ढ़आल रख।
I am the best 
का मेरा यह मंत्र याद रख।
        चिंटू भैया

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