Prince Chandel 06 Apr 2023 कविताएँ देश-प्रेम हिंदी कविता , देश प्रेम कविता , काव्य रचना , काव्य पाठ, काव्य संग्रह, हिंदी कविता , कविता , स्वतंत्रता दिवस कविता , 8179 0 Hindi :: हिंदी
भाई की ढाल हाथों में स्वागत थाल लिए खड़ी थी कब आए मेरा भाई आंखे पसारे द्वार पर अड़ी थी घंटे बीते ,बीते पहर फिर हुआ वक्त हुआ शाम का भुंकी रह गई पूरे दिन बहना,कोई पता ना नाम का बजी फोन की घंटी बहना भागे भागे चली है फोन लगाया कान पर पैरों से जमीं निकली है आंखों में आंसू हैं हाथों में जान नहीं मां सुनो अरे सुनो मां भाई में प्राण नहीं सारे घर में छाया मातम कब खुशी दुख में बदल गई भाई की रक्षा की राखी बहन के हाथसे फिसल गई बोलीं मां देख भाई फिर झुंटा धोखेबाज निकला मुझसे वादा करके ,झूंटा जानें कहां भाग निकला बहना के सपने मां की ममता सारी अधूरी रह गई दो महीने की ब्याही लड़की बिना सुहाग के रह गई पिता ने सहारा खोया ,भाई विल्खता रह गया मातृभूमि की रक्षा खातिर सबको अलविदा कह गया बेटा भाई दोस्त पति सबका किरदार निभा गया भारत मां का लाल तिरंगे में लिपट कर आ गया -२ लेखक - प्रिंस चंदेल