Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम #भारत भाग्य विधाता कविता#ambedkarnagarpoetry#rbpoetry#प्रसिद्ध हिंदी कविताएँ#आधुनिक कविताएँ#सभी कवियों की कविताएं#सबसे अच्छी कविता#कविताएं हिंदी में लिखी हुई#छोटी सी कविता हिंदी में 47867 0 Hindi :: हिंदी
भटक रही थी बूढ़ी महिला तम तमाती धूप में | अधमरी सी झुकी खड़ी थी, कंकाल के रूप में || उपल ,कण्डा उठा उठा कर , भर रही थी टोकरी. | चाह जीने की प्रबल थी, मार रही थी भुखमरी, | कोई खाए जूठा पत्तल, सोये सड़कों के फुटपाथ | भारत का तु भाग्य विधात्री, आज बनी है तु अनाथ,|| एक चार की बात नहीं है, अरबों हैं तेरे संतान,| कहां छिपा ज़मीर तुम्हारा , मानवता के इंसान, || किस भारत माता की सदा, कर रहे हो जय जयकार | मां तो भटक रही सड़को पर, हो रहा कैसा अपकार? देश कभी न बड़ा बनेगा, यदि होगा जन का अपमान,| भारत का तु भाग्य विधात्री, यह कैसी तेरी सम्मान || धरती तु है भारती तु है, भारत भाग्य विधाता तु है,| गॉंव देश की बात करू क्या? पूरे विश्व की माता तु है || कब तक होगा अपमान तुम्हारा कब तक सहोगी अत्याचार अब होगा सम्मान तुम्हारा मातृदिवस के रूप में पूजी जाओगी माता तुम मां भारती स्वरूप में || _________________ ___________________
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...