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भीमराव अंबेडकर को फूल अर्पण

भूपेंद्र सिंह 19 Dec 2023 कविताएँ समाजिक भीमराव अंबेडकर संघर्ष, पढ़ाई ,आजादी में योगदान 7851 0 Hindi :: हिंदी

1891,महू में हुआ जन्म एक ज्वाला का,
एक महान नायक और देश प्रेम की माला का,
पढ़ने का उसको मिला नही कोई भी अधिकार,
क्योंकि वो था एक अछूत और एक महार,
फिर भी उसने अछूतो को करा दिया भवसागर पार,
किताबे पढ़कर निकाल दिया पूरी जाती प्रथा का सार,
किए अछूतो के लिए आंदोलन एक नही अनेकों बार,
देश के हर एक नागरिक का दिया था जिसने जीवन सवार,
जिसके सामने हो गई थी बड़े बड़े मनुबादियो की हार,
आओ अंबेडकर को लगाए हम एक पुकार।।

संस्कृत जिसको पढ़ने नहीं दिया गया,
फिर भी बना संस्कृत का सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता।
तर्क शक्ति में जिसको कोई भी नहीं था हरा पाता,
किताबों को ही समझता था वो अपना पिता और माता,
किताब पढ़ने में रहता था मग्न और दिन बीत जाता,
जो सिर्फ भौर में दो घंटे नींद लेता फिर था नहाता,
नाश्ता करता और फिर सीधा कार से कोर्ट को जाता,
फिर किताबों की दुकानों के चक्कर था लगाता,
रोज नई नई किताबे डाक से मंगाता,
तो कभी खुद बाजार से खरीद कर लाता,
फिर सारी रात किताबों में खो जाता,
कभी मदद के लिए किसी को नहीं था बुलाता,
हर रोज अनुयाइयों को नए नए किस्से सुनाता,
32थी डिग्रियां और नौ भाषाओं का ज्ञाता,
64 विषयों में महारत थी हासिल ऐसा और कोई नहीं हो पाता,
ऐसा महान व्यक्ति संसार में हर बार नही आता।।

लंदन और अमेरिका से वो पढ़कर आया,
नई नई सीढ़ियों पर वो चढ़कर आया,
गांधी जैसे अनेकों से वो लड़कर आया।।

आया आया दलितों का मसीहा आया,
अंधेरे में डूबे लोगो का अब दिया आया।।

जिसने हर एक पड़ाव को विजय किया,
पानी के लिए भी जिसने सत्याग्रह किया।।

आओ अंबेडकर को फूल अर्पण करें,
आज अंबेडकर को सर्वस्व तर्पण करे,
इससे पहले की यमलोक को गमन करें,
एक बार अंबेडकर जी को जरूर नमन करें।।


भूपेंद्र सिंह रामगढ़िया।।

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