Poonam Mishra 22 Nov 2023 कविताएँ समाजिक न जाने कितने चेहरे हैं लोगों 9984 0 Hindi :: हिंदी
दुनिया है रंग बिरंगी इन रंगों के बाजार में कई रंग के होते हैं लोग ! मैंने देखा है !एक नहीं कई रंग बदल लेते हैं लोग! न जाने कैसे ? मैंने देखा है कई चेहरे बदल लेते हैं लोग ! अपना स्वार्थ हो तो कई रिश्ते निकाल लेते हैं लोग काम निकालने के बाद दूध में पड़ी मक्खी सा निकाल फेंकते हैं लोग! जीवन के इस सफर में आगे बढ़ने की होड मची है आगे बढ़ने के लिए अपनों का भी खून बहा देते हैं लोग! मतलबी दुनिया में मतलबी लोग बसते हैं ! अगर मतलब ना हो तो आपको देखना पसंद भी ना करते है जो मतलब पड़ जाए तो आपके पैरों में सर रख देते हैं लोग! अब अपनों में अपनों का एहसास नहीं है ! बिना वजह की बातों पर भी झगड़ लेते हैं लोग स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा