MAHESH 30 Mar 2023 कविताएँ राजनितिक राजनीतिक व्यंग 88353 0 Hindi :: हिंदी
स्वरचित रचना- ए हिन्दुस्तान है,.............। संदर्भ---राजनीतिक व्यंग ए हिन्दुस्तान है, जहां न्याय टिका सबूतों पर, सबूत लाओ, तभी सरकार यहां सुनती है। गरीब लाख रोए, और गिड़गिड़ाए मगर, न्यायदाता को, कौन रोने की रकम मिलती है। अपराध सामने हो रहा, और पुलिस मौन है, करे गिरफ्तार कैसे? ऐसी वर्दी की कसम मिलती है। हुई दुर्घटना कोई, यदि दो जनपदों के बार्डर पर, वो जिन्दा लाश फिर दो हाकिमों के बीच पिसती है। यही नहीं, है और भी ए करिश्माई पुलिस, जो शरीफ चोर, चोर को शरीफ करती है। और तो और, पुलिस सुई को फार करती है। निर्दोष को भी पुलिस दोषी करार करती है। यहां तलक भी गया देखा व सुना साहिब, थाने में बंद अबला का बलात्कार करती है। नाबालिग को साजिशन ए फंसा देती है। साजिशन कब्र से मुर्दे फरार करती है। पैमाईश करने गए लेखपाल तो देखो, अंगनू की भूमि वो मंगनू को नपा आते हैैं। जानते हैं, कि ऐसे झगड़े की जड़ मेंड़ ही है, पर एक बित्ता बगल वाले के घुसा आते हैं। चौकी-थाना हो, या फिर तहसील, ब्लाक, कचहरी हो हो चाहे जो भी सब, बस घूस पे ही चलती है। जैसा शिकार वैसा हथियार इनका होता है, बस समय को देख के ए अपना रंग बदलती है। प्रधान, कोटेदार, थानेदार, जिलेदार सभी, कहां नहीं? मौकापरस्त नीति चलती है। सरकार क्या करे, जब अधिकारी, कर्मचारी ही, करे मनमानी तो फिर! कहो किसकी गलती है। लाख फ़रियादें व शिकायतों से क्या होगा? उम्मीद-ए जब सनम साहिल पे बुझी मिलती है। भले ही सामने, उनके खड़े रहो लेकिन, मर गये हो,अगर फाइल में लिखी मिलती है। ये हिन्दुस्तान है, जहां न्याय टिका सबूतों पर, सबूत लाओ तभी सरकार यहां सुनती है।। ~✍️ महेश