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हवा

Yogesh pintu thakur 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य हवा पे कविता 10032 0 Hindi :: हिंदी

हलकी  फुलकी हु। वजन में कम ही रेहती हु।
जहाभी जाती हु सुकून दे आती हु। 
जब जब गर्मी आती हैं प्यारसे मुझे बुलाते हैं मेरी एक झलक के लिए ना
जाने कितना तरसते हैं। 

कोई बुलाए ' हवा ' कोई बुलाए ' वायु ' मेरे नाम है कई
हर जगा है मेरी परछाई। 
बीना पत्थर मारे देती हैं आम हवा है उसका नाम।

रूतु ना मेरा कोई में हरसाल होती हु मेरे झोकेसे सबका 
मन बेहलाती हु। 
खेतों खलीयानो में घुमती रेहती हु मन बावरी हु कहीभी चली जाती हु। 

धर्मीपे खुशियां देने आइ हु जीवन में रंग घोलने आइ हु।
प्रदुषण कर के मेला ना मुझे बनाओ ना मुझ में घोलो जेहेर। 
मुझको अमरीत बनके रेहने दो

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