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हम क्यों बड़े हो गए- जाने अंजाने में कहीं खो गए

Manu Vishwakarma 25 Jul 2023 कविताएँ समाजिक 6457 0 Hindi :: हिंदी

हम क्यों बड़े हो गए, जाने अंजाने में कहीं खो गए
  हम क्यों बड़े हो गए
 दुनिया की भीड़ में ना जाने कहां खो गए, हम क्यों बड़े हो गए
 दुनिया की इस दौर में जाने कहां खो गए, हम क्यों बड़े हो गए
सबके साथ रहकर भी अकेले हो गए , हम क्यों बड़े हो गए

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