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हर वो शख्स मेरी नजरों में बड़ा है

Prince Chandel 07 Apr 2023 कविताएँ देश-प्रेम कविता , हिंदी कविता, देश प्रेम कविता, काव्य पाठ , काव्य पंक्ति 5853 0 Hindi :: हिंदी

हर वो शख्स मेरी नजरों में बड़ा है

हर वो शख्स मेरी नज़रों में बड़ा है 
जो जान हथेली पर रखकर सीमा पर खड़ा है
और जब जब आयी है सरहद पर बाधा 
बन निडर जो माँ की रक्षा के लिये लड़ा है 
हर वो शख्स मेरी नजरों में बड़ा है 

 
माता पिता बहन भाई के बिना
कैसे जीता होगा शख्स वो वहां
धूप छावं गर्म सर्द हर तकलीफ से लड़ा है 
प्रेम कर मात्र भूमि से जो सीना ताने खड़ा है 
हर वो शख्स मेरी नजरों में बड़ा है 


भूल कर अपनी मंज़िल और आशियाना
केवल एक ही सनक सवारे ,मस्ताना 
चारों ओर नजरें पसारे खड़ा है 
जीवन को खिलौना समझ स्वं खिलाड़ी बना है 
हर वो शख्स मेरी नज़रों में बड़ा है 
                                              
                                           जय हिन्द  लेखक - प्रिंस चंदेल

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