Rukmini 07 Apr 2023 कविताएँ समाजिक माँ 7522 0 Hindi :: हिंदी
हस्ती तो बहुत देखी माँ तुझसे ज्यादा सुकून कहीं और कहाँ, माँ भले ही सो लुंगी मखमल के सेज पर तेरे गोद से ज्यादा आराम कहीं और कहाँ l माँ ये दुनिया तो बहुत बड़ी है पर तुझसे दूर और जाऊँ कहाँ, माँ भले ही ज़िंदगी मे यक्तित्वों की कमी नही पर तुझसा अस्तित्व कहीं और कहाँ l माँ तेरे कदमों मे ही मेरी ज़िंदगी हैं इस जन्नत को छोर और जाऊँ कहाँ, माँ तो ममता की मूर्ति होती है इस मुरत को छोर कोई भी कहीं जाए कहाँ l