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हे हे दयालु-तुम्हारे मोह में ध्वस्त होती कल्पना

Sudha Chaudhary 26 Jul 2023 कविताएँ धार्मिक 5884 0 Hindi :: हिंदी

सृष्टि का कण कण
तुम्हारे  मोह  में
ध्वस्त होती कल्पना
जिस गेह मे।

हे चराचर आज तानों
गान कोई प्रेम का
ना रहे अब भान
कोई नाम का।

हो तुम्हारे दृष्टि का
अनुताप सब पे 
कर कृपा, अपने करो का
हार सब पे।
जागकर बुझ न जाए सबकी आशा 
पार पाओ नाथ सब की भाषा।

हे दयालु देते हो तो दान दो
हो तुम्हारे कल्पना से अधिक बलवान दो।

जो तुम्हारे शस्त्र के आगे टिके ना
ऐसी करुणा से भरा कोई गान दो।

देखकर मिट जाएं सारी व्थाये
ऐसे दुख में सुख   कहीं से डाल दो।


सुधा चौधरी

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