Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 50000 8630 0 Hindi :: हिंदी
दिल दुःख ही रहा जब कान ने यह सुना, आंखो से पानी का झरना बहता रहा, इंसान कैसे इतना राक्षस बन गया, जिसे प्यार करा उसका कत्ल भी कर दिया ।। रिश्तों की मर्यादा सारी टूट गयी, इंसान में अब इंसानियत की नस्ल ना बची, एक इंसान को मारने में भी शर्म ना बची, मोहब्बत की यह कैसी तूमने कहानी लिखी, जिसे प्यार किया उसको मारने से पहले तुम्हारी सोच क्यों ना मरी ।। ईश्वर तेरी जरूरत है अब आजा धरा पर, इंसानियत का पाठ आकर पढा जा धरा पर, इंसान अब राक्षस बन कर खडा है धरा पर, प्यार के रिश्तो का भी अब कत्ल हो गया है धरा पर ।। श्रैयांश जैन