संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक मेरी कविता प्रेरणा से भेरपुर है। सभी पाठकों को बहुत ही अच्छा लगेगा। 38202 0 Hindi :: हिंदी
बस चाहत का ये मंजर खिलाते रह, अरमा रोज नई और सही सजाते रह। तेरे सारे मुरादें हो जाएंगी पूरी, सिर्फ तूं इरादे नेक रख। लाए नही तुम कुछ अपने साथ, जी खाली हाथ ही ना आए हो। जो कुछ तूं ने पाया है, सब यहीं का हैं, जब यहां से कूच करोगे, तो तेरे साथ तेरा कुछ भी, और कोई नहीं जायेगा । फिर मलाल क्यों करता है, स्वर्ग धड़ा पर रहकर भी और सोचकर क्या पाएगा?? हो मानव तो मानव गीत गा ना, मानवता की खातिर जिन्दगी जी ना। क्योंकि जब तूं जायेगा छोड़कर यह धड़ा, तुझे लोग सारे याद करेंगें तेरे किए कर्मों से। इरादे नेक रख और नेकी कर समाज में रहकर लोगों का हित कर। चिंटू भैया
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....