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जलते चिराग

ROHIT YADAV 19 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 4277 0 Hindi :: हिंदी

जलते हुए चिरागों को बुझाते हो क्यूं।
दिल मेरा इस कदर यूं दुखाते हो क्यूं।।

इश्क मे किस-किस मकाम से गुजरे।
ये अफसाने यूं सबको सुनाते हो क्यूं।।

फाकाकशी की, पर्दादारी रहने देना।
तुम दरीचों से, ये पर्दा उठाते हो क्यूं।।

उदासियों ने पहले से , घेरा है जिसे।
उस बेबस को और यूं सताते हो क्यूं।।

तर्क-ए-ताल्लुक,जब कर लिया तुने।
फिर महफिल मे हमे, बुलाते हो क्यूं।।
🙏

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