Archana Singh 10 May 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 5982 0 Hindi :: हिंदी
जमाना कितना बदल गया है दोस्तों ! कल तक हमारे टिफिन बॉक्स में परांठे और आम के अचार हुआ करते थे ..... और यकीन मानिए हम वो भी बहुत खुशी से चटकारें लेकर खाया करते थे । यहां तक की आम के अचार में जो स्वाद था , वो आज भी याद करके मेरा दिल मचल जाता है । आज उन्हीं परांठों और अचारों का आधुनिकीकरण होकर " परांठा - पिज़्ज़ा " और " शेजवान चटनी " ने अपना नवीकरण किया है ----- जिसे आज के बच्चे चटकारा लेकर खाते हैं । सच पूछिए तो , वो स्वाद और प्यार कहां जो हमारी नानी , दादी और मां के हाथ के खानों में था । आज के तो खानों में प्यार कहीं खो गया है , सिर्फ केमिकल का बोलबाला हो गया । अब मां के हाथों के खानों और स्वाद की जगह केमिकल पदार्थों ने ले लिया है , जो शरीर में जाकर हानि पहुंचाता है । जिससे कोई फायदा भी नहीं है , तभी तो आज छोटे-छोटे बच्चों को भी तरह-तरह की बीमारियां पकड़ लेती है । ऐसी बीमारियां जिसका की नाम भी पहले सुनने को नहीं मिलता था । कारण बस बाहर के फास्ट फूड खाने की है और इन सब में सबसे बड़ा जहर " अजीनोमोटो " है । जो कि लीवर के साथ-साथ हमारे पेनक्रियाज को भी धीरे-धीरे डैमेज कर देता है । जिसके कारण हमें आगे चलकर कई असाध्य रोगों का सामना करना पड़ता है । तो दोस्तों ! क्यों ना फिर से वहीं आम का अचार और परांठे का स्वाद लिया जाए । नानी , दादी तो नहीं , हां मां को याद करके खुद बनाई जाए और खुद भी खाई जाए और औरों को भी खिलाई जाए । चलिए ! मदर्स डे पर अपनी ही नानी , दादी और मां को याद करके ये लेख मैंने लिखा है ,,,, तो अनुमति दीजिए ! धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐