Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद जीने का सहारा हूं मैं कविता/Ambedkar Nagar poetry 42348 0 Hindi :: हिंदी
न महलों बीच उजाला हूं मैं न ज्वालामुखी का ज्वाला हूं मैं न आसमान का तारा हूं मैं न मेघ बीच चंचल चपला, न अग्नि बीच अंगारा हूं मैं मन उदास जीवन निराश हर दिन जिनका होता उपहास बच्चे जिनके नंगें भूखे, मां के स्तन सूखे सूखे, इनके जीने का सहारा हूं मैं बहता दूध का धारा हूं मैं | न नैनो का तारा हूं मैं, न कुल का उजियारा हूं मैं न मेरा कोई जाति धर्म, न संविधान का धारा हूं मैं, क्यों जन्म हुआ ईश्वर इनका जीवन नर्क बना जिनका, घुटनों पर सिर लिए बैठा मानो दुनिया से है रूठा सूखे नदियों सी आंखों में बहता आंसू -धारा हूं मैं इनके जीने का सहारा हूं मैं|| Rambriksh Ambedkar Nagar
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...