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जिंदगी की उलझने..?

Bhuwan Joshi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य संपूर्ण जीवन सार, बचपन से अब तक! 9390 0 Hindi :: हिंदी

खोया बचपन वो अपना हमे याद है 
इन गली रास्तो कि हि तो बात है! 
कर लिये आज तक हमने जितने कर्म, 
फल के मिलने का हमको भी अहसास है

की जिंदगी की वो इक राह दूँ मैं बता 
जिस उम्र में किसी को न होता पता!
रास्तो में ठोकरे खाके चलना पड़ा, 
कांटे थे बहुत इनसे सन्भलना पड़ा! 
हैं कई रास्ते जो बताते हमें रास्तो मे हमे वो पथिक मिल गये! 

ख़्वाब देखे थे हमने जहा के गजब, 
आस लेकर थे बैठे मिलेंगे वो सब, 
देखी किस्मत तो ख़्वाब बदलना पड़ा
बेसमझ राह पर हमको चलना पड़ा! 
साथ अपने न था तब कोई भी खड़ा, 
था पिता वो जो हर गम में खड़ा, और
चाहतो की जंजीर माँ की ममता संग थी, 
प्यार मिलता था फिर भी डरना पड़ा! 

ख़्वाब बचपन के जब जवानी से मिले
जिंदगी की अलग ही कहानी कहे, 
रिस्ते- पिस्ते युहीं हम खड़े रह गये 
बात अपनी उसी पर अड़े रह गये? 
दिल ही दिल में ये सब सहना पड़ा
याद सब था मगर चुप ही रहना पड़ा! 

कि जवानी से अब तक जो उभरे न थे
उन करामात से अपनी सुधरे न थे! 
राह देने लगे लोग फिर से बहुत, 
चाहते हैं सभी पर चुन ना सके! 
                     
                                   धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻! 
भुवन जोशी . 

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