Ruby Gangwar 13 Feb 2024 कविताएँ समाजिक ख्यालात, जज़्बात, दूर दराज 25804 0 Hindi :: हिंदी
कैसे –कैसे होते हैं लोगों के ख्यालात, सुख में तो होते हैं सब हमारे आस–पास, जैसे ही बताएं हम इनको अपने जज़्बात , सुनकर ही हमारे जज़्बात हो जाते हैं हमसे दूर दराज, रिश्ते होते हैं नाज़ुक रेशम के धागे के जैसे, अगर एक बार टूट जाएं तो पड़ जाती है इनमें गांठ, कैसे बताएं इनको मतलब से नहीं निभाए जाते हैं रिश्ते, डालनी पड़ती है रिश्तों में अपने अनुभव की जान, सदियां बीत गईं पर न बदले लोगों ने अपने विचार, सोचती हूं कर ही दूं मैं अपने से ही शुरुआत।।