Alfaaz Hassan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 44096 0 Hindi :: हिंदी
जीवन में घटे जब अच्छा बुरा कोई जोङे नाता किस्मत से कोई कहता दुनियादारी रे, पर समझे न नादान ये क्यूं कर्मो की माया सारी रे यहाँ दिन भी बिके और रात बिके यहाँ सुख दुःख हर हालात बिके बिके दीन ईमान जहाँ पर ना मेरे जज्बात बिके, पर समझे कौन यहाँ जज्बात मेरे सब लोग जहाँ व्यापारी रे, पर समझे न नादान ये क्यूं कर्मो की माया सारी रे रब हाँथ रखेगा तूझपे सदा रख भाव दया का सबके सगं दे साथ जरूरतमंदो को क्यो की अल्लाह ने बना कर भेजा है बन्दे का वसीला बन्दो को गिरता है आखिर ईक दिन वो जो होता है अहंकारी रे, पर समझे न नादान ये क्यूं कर्मो की माया सारी रे, की शुक्रगुजारी हर लम्हा चाहे रहा किसी भी हाल मे मै सुख दुःख जीवन के है पहलु ना ढाल बुराई की ढाल मे मै चाहे एक जीत की चाह त मे मै लाखों बाजी हारी रे, पर समझे न नादान ये क्यूं कर्मो की माया सारी रे,