Ujjwal Kumar 20 Sep 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #school life poem कितने अच्छे थे वे दिन 14042 0 Hindi :: हिंदी
कितने अच्छे थे वे दिन जीते थे चिंता के बिन.. खूब पढ़ना, खूब लिखना मौज मस्ती, गिन -गिन -गिन चलते फिरते थे बिंदास रखते दिल में बड़ी सी आस अपने दिन थे अपनी रात दोस्तों की थी पक्की साथ । कांड भी होते बड़े बड़े लफड़े झपड़े खड़े खड़े, छोड़ा ना कभी दोस्तों का साथ, अपनी क्लास इज्जत की बात । 'टीचर' नहीं वे थे गुरु...! जब तब सिकाई होती थी शुरू उनका कभी ना किया अपमान सबसे प्यारा उनका सम्मान । जी जान से वो पढ़ाते थे, अव्वल खातिर लड़ाते थे, पिटे भी थे हम बेदम... दिखाने पढ़ाई का दमखम । छोटी सी थी अपनी जिंदगानी सपनों से भरी रात सुहानी, सपनों से उड़ गए अब वो दिन जीते है अब, तारे गिन गिन.. युवा रचनाकार- उज्ज्वल कुमार