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चलते रहो बढ़ते रहो-जिंदगी है थकना मत रुकना मत

Ujjwal Kumar 13 Jun 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग Target 8130 2 5 Hindi :: हिंदी

चलते रहो बढ़ते रहो
जिंदगी है
भागते रहो रेंगते रहो
जिंदगी है
थकना मत रुकना मत
जिंदगी है
झुकना मत टूटना मत 
जिंदगी है
ये राह तो मुश्किल हो सकती है
पर पुरा कैसे नही होगी
 हम जिंदगी के मुसाफिर है
चलना आता है बढ़ना आता है
पर थकना ओर रुकना नही आता है 
भागना आता है रेंगना भी आता है
पर झुकना ओर टूटना नही आता है

✍उज्ज्वल कुमार

Comments & Reviews

Ujjwal Kumar
Ujjwal Kumar धन्यवाद

11 months ago

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