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मगर तुम आग ही समझे-थे आंखों में आंसू

Sudha Chaudhary 22 Sep 2023 कविताएँ अन्य 21975 0 Hindi :: हिंदी

मेरे आने पर तुम जाओ
मेरे जाने पर तुम आओ
खुला यह हाल दिल का तो
तमाशा करके मत जाओ।

मेरी यादों की दुनिया भी
तुम्हारा नाम से चलती
तुम्हें झूठा कहूं फिर भी
तुम्हारे नाम से चलती।

वो मेरा दर्द, मेरा सख्त
व्यवहार मत समझो
कुछ बातें मन में रह जाए
उसे बेकार मत समझो।

मैं साया हूं तुम्हारी
और तुमसे ही लिपटती हूं
तुम्हारी हर खुशी के लिए
अपना जीवन बदलती हूं।

कुछ ऐसा अंत होना था
ना तुम समझे, ना हम समझे
थे आंखों में आंसू
मगर तुम आग ही समझे।

सुधा चौधरी
बस्ती

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