Sudha Chaudhary 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 79788 0 Hindi :: हिंदी
मैं अक्सर नहीं समझती क्या कहती हूं? मैं सीमित हूं इसमें व्याकुलता है क्यों विस्तृत नहीं हूं? फैल जाना है जग का नियम सिकुड़ कर आधारहीन लगती हूं। कथ्य में है वेदना भाव आतुर कल्पना क्षीण सी लगती है। मैं अक्सर नहीं समझती हूं क्या करती हूं? सुधा चौधरी