Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मैं भी एक इंसान हूं

Tabrez Ahmed 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Insaan, Being Human 72024 0 Hindi :: हिंदी

मैं भी एक इंसान हूं।
यूं दर्द ना दो मैं भी किसी की जिंदगी और जान हूं।
इस तरह रिश्तों में दरार आए हैं और दिल टूटे है अपनो से,
अपने शहर और अपनो के बीच ही अनजान हूं।
ऐ ज़िंदगी इतना ना दे हर मोड़ पर सबक़,
अभी तो संभालना भी ना सीखा इतना नादान हूं।
वो हुस्न की मलिका अपने हुस्न और जवानी पर बड़ा गुरूर करती है,
उस से कहो मैं सदाबहार ही सही लेकिन मैं भी हसीन और जवान हूं।
मेरे दोस्त अक्सर कहते है बहुत पहरेदारी करते हो उसकी,
अब इन नादानो को कौन समझाए, मैं ही तो उसका निगहबान हूं।
भरी बज़्म में पूछा उसने क्या लगती हूं तुम्हारी जो इस तरह पीछा करते हो हर जगह,
मैंने भरी बज़्म में कहा मेरे जिस्म में रूह तो है अगर तू नही तो मैं बेजान हूं।
मुहब्बत को इस तरह तिजारत बना दिया है उसने ना पूछे कोई उसकी अदा,
"तबरेज़"ऐसे लगाता है जैसे उसके दिल बहलाने का एक सामान हूं।

तबरेज़ अहमद

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: