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मैं मिट्टी का दीपक हूं- नील गगन का तेज चमकता ना तपता मैं सूरज हूं

Rambriksh Bahadurpuri 22 Aug 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Kavi Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkar Nagar poetry #Ambedkar Nagar kaviar 6408 1 5 Hindi :: हिंदी

मैं मिट्टी का दीपक हूं 


नील गगन का तेज चमकता
ना तपता मैं सूरज हूं,
ना शहनशील ना हूं विशाल  
ना धरती का धीरज हूं। 

ऊॅंची ऊॅंची लहरों वाला
नही असीमित नीरधि हूं,
गगन चूमती पर्वतमाला
नही देव की क्षीरधि हूं। 

नहीं क्षितिज सा धरा गगन का
आलिंगन अभिनंदन हूं
नहीं किसी भी तेज भाल पर
शीतलता का चंदन हूं। 

ना मेरा पहचान बड़ा है
ना ज्योतिष ना ज्ञानी हूं,
ना प्रतीक ना चिह्न किसी का
ना मैं प्रेम निशानी हूं। 

हर छोटे मजबूर घरों का
जीवन-आशा-रूपक हूं, 
पड़ा हुआ कोने में जलता
मैं मिट्टी का दीपक हूं। 

       रचनाकार
   रामबृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

Comments & Reviews

Sudha Chaudhary
Sudha Chaudhary बहुत सुंदर

8 months ago

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