ROHIT YADAV 08 Jun 2023 कविताएँ समाजिक google /yahoo 6513 0 Hindi :: हिंदी
मंजिलें जिद्दी है तो हम भी कहां कम है समय कठिन है तो हमे भी सरल कहां पसंद है, रास्ते टेढ़े है तो लक्ष्य कहां सीधा है, मिल जाए जो दरिया तो हम भी पूछेंगे चुनौतियों के सागर में ले हम भी डूबेंगे, मेरे प्रेम की सरलता को तुमने इतना रुलाया है सीधे साधे इस दिल पर ऐ वक्त तूने कितना कहर ढाया है, आंखों के आगे ये जो काले घेरे है यू ही नहीं आए है,वक्त की करवट मोड़ कर एक दिन मै तुम्हें जीत लूंगी, मेरे सालों की तपस्या को मै अपने प्रेम की ज्योति से सींच लूंगी,देख लेना एक दिन मै तुम्हें अपने परिश्रम से जीत लूंगी..! निर्जला गुप्ता