Yogesh pintu thakur 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक पेड़ की रचनाएं 10125 0 Hindi :: हिंदी
मेहु एक पेड मेहु बच्चो का साथी। मेहु थकियारोंका आराम कक्ष मेहु पंछीयोंका घर। कोई हैं निर्भर मुझ पर कोई हैं रेहता जिंदा मुझ पर। में भी हु तुम्ह पर निर्भर क्रिपया ध्यानदे मुझपर। कर प्रदुषण ये हानी मुझे ही पोहचाते है। और सही अॉक्षिजन कि मांग भी मुझीसे करते हैं। अकल इनकि घुटने मे आइ हैं। आलीशान घरों के लिये इन्होंने ना जाने कितने पेड़ोंकी बली चढ़ाई है। उपर वाले इनकी अकल सही पर बैठादे और हमे कटनेसे अब तुही बचाले। पत्ते और डाली मेरे बच्चे समान होते हैं आप इन्हें कटवा कर बांझ मुझे बनाते हैं। पलंग कि बजाय निचेही तु सोयेगा तो तु हमारे जैसे ना जाने कितनो को बचाएगा। सोच अब इंसान सोच अब इंसान खुदकेही बारे में कितना सोचेगा। सभीको शुभकामनाएं जीना हैं तो पेड लगाए पेड़ लगाए