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मेरे खेत की आंखें मुरझाई हैं

Akshay kumar Meena 22 Dec 2023 कविताएँ समाजिक मेरे खेत की आंखें मुरझाई हैं। लगता है बारिश देर से आई है ।। देर से आई पर आई । फिर खेत में वही रौनक छाई ।। गर्मी का ताप मेरी फसलों पर छाया । उसे देख बादल आया,आया लाया पानी संग अपने। आंगन में बहने लगे झरने।। आंगन में बह रहा पानी । कह रहा अपनी कहानी ।। कहानी तो बहुत है सुनाने को । मौसम भी कह रहा कुछ गुनगुनाने को।। मेरे खेत की बात निराली सर्दी में कश्मीर सा लगे। लगे गर्मी में थार,और बारिश में बहती है मेघालय की सी धार।। 7531 0 Hindi :: हिंदी

मेरे खेत की आंखें मुरझाई हैं।
लगता है बारिश देर से आई है ।।
देर से आई पर आई ।
फिर खेत में वही रौनक छाई ।।
गर्मी का ताप मेरी फसलों पर छाया ।
उसे देख बादल आया,आया लाया पानी संग अपने। आंगन में बहने लगे झरने।।
आंगन में बह रहा पानी ।
कह रहा अपनी कहानी ।।
कहानी तो बहुत है सुनाने को ।
मौसम भी कह रहा कुछ गुनगुनाने को।।
मेरे खेत की बात निराली सर्दी में कश्मीर सा लगे।
लगे गर्मी में थार,और बारिश में बहती है मेघालय की सी धार।।

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