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मेरे मनमीत

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 73635 0 Hindi :: हिंदी

कविता- मेरे मनमीत

मेरे मनमीत हम दो दिल एक जॉन
एक रंग में रंग कर चलते हम शान
खेलते रहते थे बचपन में कई खेल  
चर्चा गली-गली, जन-जन पहचान

शिक्षा ग्रहण करने जाते पाठशाला
ज्ञान अर्जित किए श्यामपट्ट काला
दोनों सखा कार्य कुशल प्रतिभावान
गुरु से सीखे जीवन जीने की कला

यौवन काल चित्त रम गया प्रीत में
नाच रहे थे झूम कर मधुर संगीत में
लक्ष्य हेतु प्रयास करते थे उत्साहित
भव्य सफलता खुशी मिली जीत में

जिस दिन घिरेगा वेदना का बादल
शब्द बाणों से होगा सहृदय घायल
संकट में एक दूसरे का नाम पुकारेंगे
उस दिन दोनों की आंखें होगी सजल

देखकर दीन-हीन दशा हम आयेंगे
मझधार में डूबते को पार लगायेंगे
तैयार रहेंगे हर चुनौती के लिए मित्र
मैं तुझे, तुम मुझे, जनसमूह बचायेंगे

कवि- अशोक कुमार यादव मुंगेली, छत्तीसगढ़(भारत)

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