Gayatri yadav 30 Mar 2023 कविताएँ देश-प्रेम इस कविता में मीट्टी के लिये सम्मान 10777 0 Hindi :: हिंदी
छांव में धूप की रोशनी है, उज्जलों में तेरी गजरती है,कई रास्ता हवाओं में रेह जाती है, नमी तेरी इस मीट्टी के कण-कण में, धरती का श्रंगार| हिमालय पर्वत शिखर है, रूप तेरी सर्दी कि हल्की -सी धुप खेतों के बगीचों में फूलों की डोली तेरी इस मीट्टी के कण-कण में,धरती का श्रंगार| रूप तेरा रंग का चादड़ तेरी अंबर की इन फिजाओं कि मुस्कान तेरी जमीन पर इस मीट्टी के कण-कण में, धरती का श्रंगार|