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मुस्कुरा रहा था चांद हमारा देखा-कल रात एक नजारा देखा

Jyoti yadav 01 Jul 2023 कविताएँ अन्य #मुस्कुरा रहा था चांद हमारा देखा # 6140 0 Hindi :: हिंदी

कल रात एक नजारा देखा
मुस्कुरा रहा था चांद हमारा देखा
चमक  रहे थे सितारें अम्बर में
मिल रही थी बूंदें बारिश की समंदर में 

गर्दिश में छाया खूब अंधेरा था
काली घटाएं बादलों ने भी घेरा था
साथ में बिजली का पहरा था
मौसम यह सुनहरा था

हवाओं में थोड़ी शरारत थी
बहावो में कुछ शराफ़त थी
रौनक देखी हमने इन अंधेरी काली रातों में
महसूस किया हमने क्या कुछ कह रही थी प्रकृति अपनी बातों में


कभी बादलों में तो कभी बादलों से
चांद झांक रहा था
सितारों की परछाई को आंक रहा था
यह छूप छूप के मुझे ही ताक रहा था


बूंदें बारिश की हमसे गुजारिश की
खेल लूं मैं साथ उनके सिफारिश की

काली घटाओ ने भी हमें खिंच लिया
काला टिका लगा कर हमें सिंच दिया।

पहली बार गर्दिश इतना प्यारा देखा
चमकता सितारा देखा
कल रात एक नजारा देखा
मुस्कुरा रहा था चांद हमारा देखा

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