DINESH KUMAR KEER 27 May 2023 कविताएँ अन्य 4896 0 Hindi :: हिंदी
नई सुबह सुबह हुई है उजालों ने फिर दस्तक दी है... अंधकार मिटा है उम्मीदों ने साँस ली है... सूर्यास्त हुआ है और भीनी धूप खिली है... मद्धम हवा चली है पंछियों ने उड़ान भरी है... सुबह हुई है उजालों ने फिर दस्तक दी है... अंधकार मिटा है उम्मीदों ने साँस ली है... सूर्यास्त हुआ है और भीनी धूप खिली है... मद्धम हवा चली है पंछियों ने उड़ान भरी है... नई सुबह में आशाओं की हवा चली है... जन जन जाग रहा है वक्त ने करवट ली है... नई सुबह में आशाओं की हवा चली है जन जन जाग रहा है वक्त ने करवट ली है...