Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #नन्हा पौधा, कविता#Ambedkar Nagar poetry#rbpoetry#Rambrikshpoetry 45577 0 Hindi :: हिंदी
बोया था मिट्टी में बीज यह सोचकर, पेड़ बनेगा | छाया देगा जीव जंतु को , फल भी सारा ढेर लगेगा || रोज देखता कब निकलेगा , नन्ना मुन्ना अंग सलोना | हाथ पाव सा पत्ता कोमल मेरा हीरा मोती सोना || अंकुर फूटा, पड़ा दिखाई , होनहार चिकने पत्ते | लगने लगा मुझे अब ऐसा , मेरे होंगे सपने सच्चे || समय को किसने पहचाना है, क्या होगा किसने जाना है ? जन्म- मरण का चक्र ही ऐसा , जो आया उसको जाना है || पीले पड़ गए कोमल पत्ते, पड़ी जब उस पर काली छाया | जीवन से तब हार गया वह, जब अंत समय उसका आया || सोचा कुछ, हो कुछ जाता है , कभी कभी देखा ऐसा है| लगता कभी अनोखा जीवन कभी लगता जीवन धोखा है|| बन न पाया पेड़ बड़ा वह, ना कर पाया काम बड़ा| नहीं भरोसा इस जीवन का, तब नाम समय का काल पड़ा || Rambriksh, Ambedkar Nagar
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...