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नारी हूं मैं महिला दिवस पर विशेष

Chanchal chauhan 08 Mar 2024 कविताएँ समाजिक स्वर्णिम इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में मैं लिखना जानती हूँ नारी हूँ मैं अपना मुक़ाम खुद बनाना जानती हूँ मैं बुलंदियों को छूना जानती हूँ।। 2707 0 Hindi :: हिंदी

मैं नारी हूँ

अपनी पहचान खुद बनाती हूँ 

मैं स्वाभिमान से जीती हूँ

 मैं निर्भीक सबल नारी हूँ।

 पुरुष प्रधान जगत में मैं

 अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाती हूँ

अब हर क्षेत्र हर स्तर पर मैं

 कामयाबी का स्पर्श पाती हूँ

 पुरुष का तिरस्कार करना लक्ष्य ना मेरा 

पर पुरुष प्रधान संसार में मैं 

अब अपना स्थान बनाना जानती हूँ।

 कई प्रतिभाएं हैं मुझमें 

मैं उनको साकार रूप में उकेरती हूँ

 नारी हूँ मैं 

मैं अपना वजूद बनाती हूँ।

 आशा की चिंगारी हूँ मैं 

स्वर्णिम इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में 

 मैं लिखना जानती हूँ

 नारी हूँ मैं 

अपना मुक़ाम खुद बनाना जानती हूँ

 मैं बुलंदियों को छूना जानती हूँ।।

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