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नारी से संसार

MANGAL SINGH 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नारी 15958 0 Hindi :: हिंदी

मत करो नारी पर जुल्म, स्वतंत्रता नारी का अधिकार ।
शायद ये सब भूल गए, है नारी से संसार।
इक रूप में नारी है माता, इक रूप में नारी धनदाता।
इक रूप में नारी सरस्वती, इक रूप में नारी अन्नदाता।
इस रूप पर डाल तेजाब, क्यों करते इन पर अत्याचार।
शायद ये सब भूल गए, है नारी से संसार।
इक रूप में नारी है जननी, इक रूप में है पीड़ा हरणी।
इक रूप में नारी है वाला, इक रूप में नारी है ज्वाला।
नही दे सकते सम्मान, तो क्यों पूजे इनके अवतार।
शायद ये सब भूल गए, है नारी से संसार।
पीकर आते मदिरा तुम, करते महिला उत्पीड़न।
इनको है दो पल सुख, और फिर कलह के कल्प अपार।
शायद तुम ये भूल गए, है नारी से संसार।
मेरी माता और बहनों तुम, क्यों सहते हो ये दुख।
नही हो सकता ये दूर, जब तक आप रहोगी चुप।
ले लो हाथों तलवार ढाल, ले लो हाथों अग्नि मशाल।
ले लो माथे धरणी की धूल, ले लो हाथों शिव का त्रिशूल।
दिखलादो  पापी दुनिया को, हर शक्ति का अवतार।
शायद ये सब भूल गए, है नारी से संसार।

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