Abhinav chaturvedi 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Abhinav chaturvedi 13317 0 Hindi :: हिंदी
निभाती हैं हर किरदार जो खुद ही एक किरदार होती हैं। सिर का भार समझने वालों, लड़कियां घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं। घर को घर बना करके, एक परिवार को संवार देती हैं। लोग कई प्रश्न रखते हैं, उनके लिए हरदम जवाब होती हैं। सिर का भार समझने वालों, लड़कियां हर घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं। कुछ मन से भारी होती हैं, कुछ अपने मन की मालकिन होती हैं, थोड़ी शरारत वाली, तो कुछ भोली-भाली होती हैं। घर जिनकी आवाज़ों से चहकता है- वो घर के कोयल की आवाज़ होती हैं। सिर का भार समझने वालों, लड़कियां घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं। जो मस्तमग्न रहती हैं, घरवालों के लिए सदा तत्पर रहती हैं ज़िम्मेदारियों को सिर पर उठाये, अपने सपनों के दम पर चलती हैं। हरदम अपनो के खातिर, अपने सपनो के खातिर, रोज़ ऊँची उड़ान भरती हैं। सिर का भार समझने वालों, लड़कियां घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं। कई रिश्तों को नाम देती हैं, ख़ुद कई रिश्तों में बंधकर- रिश्तों को मुकाम देती हैं, कहीं घर की लाडो, बेटी, गुड़िया बनकर, कहीं किसी की जान,दुनिया बनकर। दिमाग वाले रिश्तों को, दिल से जान वाले रिश्तों को, जोड़ने वाली तार होती हैं। सिर का भार समझने वालों,लड़कियाँ घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं। सच कहा है किसी ने, बड़े-बड़े मकानों को घर बनाती हैं, घर सुना लगता है जब घर से दूर जाती हैं, बातें सच हैं, अपनो के लिए लड़कियाँ हरदम ढाल होती हैं। सिर का भार समझने वालों, लड़कियाँ घरवालों के सिर की दस्तार होती हैं।।